Chaina’s AI Army : दुनिया अब पहले जैसी नहीं रही, तकनीक ने आटे से लेकर ऑटो तक की दुनिया ही बदल दी है। अब तो बल्कि युद्ध के मैदान और उसके तौर-तरीकों को भी बदल दिया है। अभी तक दूसरे देश की वेबसाइट हैक करने या साइबर अटैक से अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा था।
लेकिन अब युद्ध में तकनीक का दखल बढ़ गया है। ऐसी खबरें आ रही हैं कि चीन AI सेना बना रहा है, जिससे चीन और अमेरिका की चिंता बढ़ गई है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
AI Army क्या है?
दरअसल AI आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नाम की एक तकनीक है, यह इंसानी दिमाग की तरह काम करती है। इसे सॉफ्टवेयर की मदद से बनाया गया है। इसी एआई का इस्तेमाल कर चीन सेना बना रहा है।
जिसमें जंग सैनिकों से नहीं बल्कि एआई डिवाइस से लड़ी जाएगी। रोबोट और ड्रोन इस एआई सेना के उदाहरण हैं। बता दें कि रूस और यूक्रेन युद्ध में भी ड्रोन से युद्ध किए जाने की खबरें आई थीं।
चीन ने AI में प्रगति की
युद्ध में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल में चीन सबसे आगे है, जिससे भारत और अमेरिका की चिंता बढ़ गई है। ऐसे में भारत और अमेरिका चीन से मुकाबला करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इनेबल्ड डिवाइस (Artificial Intelligence Enabled Device) बनाने के क्षेत्र में उतर गए हैं।
रॉयटर्स की खबर के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को उम्मीद है कि भारत-अमेरिका गठबंधन सेमीकंडक्टर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई-बेस्ड टेक्नोलॉजी में चीन के खिलाफ लड़ाई में मदद करेगा।
भारत और अमेरिका का गठबंधन
चीन और अमेरिका दोनों ने चीन की हायटेक, एडवांस्ड टेक्नोलॉजी और उभरती हुई तकनीक का मुकाबला करने के लिए एक गठबंधन बनाया है। जो चीन के खिलाफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी की जंग में सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर का आदान-प्रदान कर सकेगी। इसके लिए अमेरिका और भारत ने क्रिटिकल और इमर्जिंग टेक्नोलॉजी की पहल शुरू की है।
चीन को काबू में करने की कोशिश
वाशिंगटन चीन को नियंत्रित करना चाहता है। इसके लिए, इसने उपमहाद्वीप में चीन की हुआवेई प्रौद्योगिकी के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए पश्चिमी मोबाइल फोन नेटवर्क को तैनात करने की पहल शुरू की है।
साथ ही अमेरिका में चीन की तुलना में भारतीय कंप्यूटर चिप विशेषज्ञ की नियुक्ति की जानी चाहिए। इससे दोनों देशों की कंपनियों को आर्टिलरी जैसे सैन्य उपकरण बनाने में मदद मिलेगी।