Artificial Intelligence and Cyber Crime | भारत एशिया-प्रशांत (एपीएसी) क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक को अपनाने वाले अग्रणी देशों में से एक है। एआई का उपयोग व्यवसायों और उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद है, लेकिन यह कई चुनौतियां भी पेश करता है। माइक्रोसॉफ्ट की डिजिटल डिफेंस रिपोर्ट के अनुसार, भारत एपीएसी क्षेत्र में शीर्ष तीन देशों में से एक है जहां राष्ट्र राज्य अभिनेताओं ने साइबर हमलों के लिए एआई का उपयोग करना शुरू कर दिया है।
राष्ट्र राज्य अभिनेता वे अपराधी हैं जिन्हें किसी देश की खुफिया गतिविधियों का पता लगाने या उन्हें बाधित करने का काम सौंपा गया है। ऐसे अपराधी नए खतरे पैदा करने, रैंसमवेयर हमलों की गति बढ़ाने, पासवर्ड मल्टी-फैक्टर प्रमाणीकरण और आईटी आधारित हमलों के लिए एआई का उपयोग कर रहे हैं। एशिया प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक प्रभावित देशों में दक्षिण कोरिया 17 प्रतिशत, ताइवान 25 प्रतिशत, भारत 13 प्रतिशत, मलेशिया 6 प्रतिशत और जापान 5 प्रतिशत हैं।
यह आसान टारगेट
हमलावरों के लिए सबसे आसान लक्ष्य शिक्षा, आईटी और परिवहन क्षेत्र हैं। DDoS हमलों के मामले में भारत दुनिया में 5वें स्थान पर है। इनमें, हमलावर उपयोगकर्ताओं को कनेक्टेड ऑनलाइन सेवाओं और साइटों तक पहुंचने से रोकने के लिए सर्वर पर इंटरनेट ट्रैफ़िक भर देता है।
हमलों में चैटजीपीटी आदि का इस्तेमाल
साइबर अपराधी चैटजीपीटी जैसी तकनीक का सहारा लेते हैं। ताकि एक ही मेल को कई तरह से लिखकर या अन्य बदलाव करके भेजा जा सके। साइबर अपराधी सिंथेटिक छवियों (कैमरे के बजाय कंप्यूटर द्वारा बनाई गई तस्वीरें) को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए एआई को हथियार बना रहे हैं।
पहचान छिपाने के तरीके भी अपना रहे
दुनिया भर के संगठनों ने सितंबर, 2022 के बाद से मानव-चालित रैंसमवेयर हमलों में 200 प्रतिशत की वृद्धि देखी है। ये आम तौर पर फिरौती की मांग वाले एक डिवाइस के बजाय पूरे संगठन को लक्षित करते हैं। हमलावर अब रिमोट एन्क्रिप्शन के साथ क्लाउड-आधारित टूल का उपयोग करके पहचान छिपा रहे हैं।